Tuesday, 5 November 2019

पाठ - 14 - रोटी माधुरी


पाठ - 14 - रोटी

 सरस्वती चैन पाखंड ढोंग प्रचार मग्न शर्म 


स्वामी दयानंद सरस्वती वेदों का प्रचार करते हुए घूम रहे थे। जो मिलता वह खा लेते। जहाँ रात हुई वहाँ सो जाते। बिस्तर मिले या न मिले स्वामी जी चैन से सोते। लोगों को सच्चा रास्ता दिखाना ही उनका धर्म था। लोग बड़े ध्यान से उनकी बाते सुनते। ढोंग और पाखंड छोड़ने का वायदा करते। 


स्वामी जी एक दिन रात को एक गाँव में रुके। वहाँ लोगों को सच्चा मानव धर्म बताया। स्वामी जी की बात खत्म हुई तो एक गरीब उनके लिए रोटी लाया। वह प्यार से रोटी खाने लगे। रोटी लाने वाला गरीब पंखे से हवा करने लगा। इतने में एक आदमी चिल्लाया,) स्वामी जी, यह रोटी छोड़ दो। यह नाई की रोटी है। मैं आपके लिए और रोटी लाया हूँ।'
 वह आदमी स्वामी जी के पास आ गया। स्वामी जी धीमे से मुस्कुराएं। रोटी को अलटा-पलटा। फिर बोले, 'इस पर तो कहीं नाई नहीं लिखा। यह तो गेहूँ की रोटी है।' उस आदमी की गर्दन शर्म से झक गई। सारी जी ने कहा, 'इस जात-पात के कारण ही तो हम गुलाम हैं। हम सब भारत माँ हैं। माँ के लिए सब बच्चे एक समान है।' स्वामी जी की बात सुनकर सब लोग आत मग्न हो गए। 

1.     सही शब्द चुनकर वाक्य पूरा करो।
 (क)स्वामी जी  चैन से सोते।
ख)गरीब पंखे से हवा करने लागा।
ग)वह फिर से रोटी खाने लगे।
घ)यह तो गेहूँ की रोटी है।
ङ)स्वामी जी वेदों का प्रचार करते हुए घूम रहे थे।

2. क) नहीं  ख) नहीं ग) नहीं  घ) हाँ    ङ)हाँ

3.क)स्वामी जी का धर्म लोगों को सच्चा रास्ता दिखाना था।
ख)लोगा स्वामी जी से ढोंग और पाखंड छोड़ने का वायदा करते।
ग)स्वामी जी के अनुसार जात-पाँत के कारण हम गुलाम हैं।
घ)भारत माँ के सब बच्चे एक समान हैं।
ङ)स्वामी जी की बात सुनकर सब लोग आनंद मग्न हो गए।
5. वाक्य बनाइए।
चैन - पैर में चोट लगने के कारण मैं रात को चैन से नहीं सो सका।
मग्न - स्वामी जी की बात सुनकर सब लोग आनंद मग्न हो गए।
धर्म - हमें सबको सच्चा मानव धर्म बताना चाहिए।
समान - माँ के लिए  सब बच्चे एक समान हैं।


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